प्रतिमा स्थापित कर भगवान सूर्य की आराधना युवाओं में भी उत्साह
प्रतिमा स्थापित कर भगवान सूर्य की आराधना युवाओं में भी उत्साह
शांति भूषण
शेखपुरा जिले में बरबीघा में सूर्य की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है । सूर्य पूजा का चलन इन दिनों काफी बड़ा है विगत 20 वर्षों से शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड के माउर गांव में वर्ष 2001 से सूर्य पूजा प्रारंभ की गई जो अनवरत चल रही है। माउर के अलावा बरबीघा के कटपीस गली में भी पिछले कई वर्षों से सूर्य पूजा की जा रही है। सूर्य पूजा के बारे में माउर निवासी और सूर्य पूजा कमेटी के संरक्षक गौतम कुमार बताते है कि छठ व्रत जो सदियों से चला आ रहा है हो ही रहा था लेकिन ग्रामीण युवाओं के मन में यह जिज्ञासा जगी की सूर्य भगवान की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा भी साथ में की जाए। वह यह भी बताते हैं की गांव में पहले बराबर कुछ ना कुछ आफत आते रहती थी जिस पर गांव वालों ने मीटिंग बुलाकर आध्यात्मिक सोच के तहत इस पूजा की शुरुआत की।
*सूर्य देव की कृपा के लाभ*
अगर किसी के ऊपर सूर्य की कृपा होती है तो उसके सभी बिगड़े हुए काम जल्दी पूरे होने लगते हैं रास्ते में पढ़ने वाली बाधाएं हटने लगती है।
– सूर्य देव की कृपा होने पर कुंडली में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है
– धन प्राप्ति के योग बनते हैं और घर में हमेशा सुख शांति का वातावरण बना रहता है
– कुंडली में सूर्य प्रबल होने पर मान सम्मान नेतृत्व क्षमता में वृद्धि और सरकारी नौकरी के अवसर प्राप्त होते हैं
*सूर्य देव का महत्व*
शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य देव की आराधना का अक्षय फल मिलता है सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं ज्योतिष के अनुसार तुजको नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग व्याधि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता है पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए प्राचीन काल में बने सूर्य के अनेक मंदिर आज भी भारत में है सूर्य की साधना आराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क मंदिर मार्तंड मंदिर और मोढेरा मंदिर आदि है
*सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं भगवान सूर्य*
सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है।
*सूर्य की साधना को समर्पित है रविवार का दिन*
रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
*इस विधि से करें सूर्य की साधना*
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
*उगते ही नहीं डूबते सूर्य को भी देते हैं अर्घ्य*
सूर्यदेव की न सिर्फ उदय होते हुए बल्कि अस्त होते समय भी की जाती है। भगवान भास्कर की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है। जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं। इस दिन सूर्य देवता को अघ्र्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। अस्त हो रहे सूर्य को पूजन करने के पीछे ध्येय यह भी होता है कि ‘हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि कल प्रातःकाल का पूजन आप स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें।
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