देहाती होली बचाने की अभी हो रही कवायद, सोशल मीडिया पर भी दिखी होली की खुमारी
देहाती होली बचाने की अभी हो रही कवायद, सोशल मीडिया पर भी दिखी होली की खुमारी
शेखपुरा, बिहार
गांव में फागुन के महीने में पूरा एक महीना परंपरागत होली गीत गायन शाम में होने की परंपरा रही है। बदलते आधुनिक युग डिजिटल जमाने में यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है । एक महीने तक चलने वाले यह होली गायन की परंपरा अब सिमटते हुए होली के दिन भी कहीं-कहीं ही मनाई जाती है । होली के दिन ढोल, मंजीरा लेकर कई गांव में हालांकि अभी भी इस परंपरा को जीवित रखा गया है। ऐसे ही कई गांव में होली गायन को लेकर उत्साह और उमंग भी देखा गया। कई गांव में बुजुर्गों की टोली ढोलक मंजीरा ले गांव में घूमकर देहाती परंपरागत होली का गायन किया। वहीं कुछ गांव में युवाओं की टोली में भी इसी तरह का उत्साह देखा गया और इस परंपरा को बचाने की कवायद की गई।
जिले के केथवां, अवगिल, मेहुस, नरसिंहपुर, तेतारपुर इत्यादि गांव में परंपरागत देहाती होली गीत गायन को लेकर टोली निकली और होली के दिन घूम घूम कर इसका गायन किया। हालांकि ज्यादातर गांव में एक माह तक चलने वाले इस उत्सवी परंपरा को अब खत्म ही कर दिया गया है और वहां होली गाने वाले टीम नहीं बची हैं।
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सामस गांव निवासी परंपरागत होली गीत गाने वाले कवि अरविंद मानव कहते हैं कि गांव की परंपरागत होली अब नई पीढ़ी अपनाने को तैयार नहीं है । पुरानी पीढ़ी के लोग जिस गांव में बचे हुए हैं वहां इसका गायन हो रहा है। यह आनंद और उमंग का त्यौहार है। ऐसे में इस गायन को बचाने के लिए नई पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है।
सोशल मीडिया पर दिखी होली की खुमारी एक तरफ जहां होली की परंपरागत गीत गायन की परंपरा लुप्त हो रही है वही सोशल मीडिया पर होली की खुमारी जमकर दिखाई दे होली के दिन शुभकामना संदेश व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों ने एक दूसरे को दी वही सोशल मीडिया फेसबुक इत्यादि पर होली खेलने की तस्वीर और वीडियो की भरमार रहे और लोगों ने अपने परिवार दोस्त यार गांव मोहल्ले की तस्वीर को शेयर किया और एक दूसरे को बधाई भी दी।
होली की तस्वीर शेयर करने वाले साईं इंस्टिट्यूट ऑफ कॉलेज के अध्यक्ष अंजेश कुमार कहते हैं कि सोशल मीडिया भी सुख दुख के प्रदर्शन का एक माध्यम है। ऐसे में होली के दिन इसका असर इससे कैसे अछूता रहता।
जिले के चकंदरा पंचायत प्रतिनिधि एवं जदयू नेता रवि सिंह ने अपने गांव में होली खेलने की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि बहुत गांव में लोग अभी इसे बचा कर रखे हुए हैं। टोली गांव में घूमती है और इसका आनंद लोग लेते हैं।
कवि आचार्य गोपाल ने अपनी कविता के माध्यम से होली के रंगों को बिखेरा।
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