• Friday, 01 November 2024
जयंती पे विशेष। दिनकर जी को मिलता था 41 रूपये, 10 आना और तीन पैसा प्रति महीना वेतन..

जयंती पे विशेष। दिनकर जी को मिलता था 41 रूपये, 10 आना और तीन पैसा प्रति महीना वेतन..

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बरबीघा/शेखपुरा

रे, रोक युधिष्ठिर को न यहाँ, जाने दे उनको स्वर्ग धीर। पर, फिरा हमें गाण्डीव-गदा, लौटा दे अर्जुन-भीम वीर।

कह दे शंकर से, आज करें, वे प्रलय-नृत्य फिर एक बार। सारे भारत में गूँज उठे, हर-हर-बम’ का फिर महोच्चार।।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उक्त पंक्तियों के साथ हिमालय नामक कविता रचना बरबीघा की धरती पर रह कर ही की थी। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को जहां उनकी जयंती पर पूरा देश नमन करेगा वही शेखपुरा जिले के बरबीघा हाई स्कूल में भी उनको याद करने की तैयारी चल रही है। प्रधानाध्यापक सैयद जुनैद हसन वारसी ने बताया कि 23 सितंबर को दिनकर जी की जयंती धूमधाम से हाई स्कूल में मनाई जाएगी।

प्रधानाध्यापक रहे दिनकर जी

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर प्लस टू हाई स्कूल बरबीघा में प्रधानाध्यापक पद पर रहते हुए यहां के बच्चों को पढ़ाया। रामधारी सिंह दिनकर 3 जनवरी 1933 को बरबीघा हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक बने तथा 21 जुलाई 1934 को उन्होंने यह नौकरी छोड़कर शेखपुरा में रजिस्ट्रार की नौकरी कर ली।

बरबीघा में प्रधानाध्यापक पद पर सुशोभित करते हुए उन्होंने अपनी यादों को संजोया है। रामधारी सिंह दिनकर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर रहते हुए 60 रुपये महीने की नौकरी दी गयी थी तथा अन्य तरह के कटौती करते हुए 41 रुपैया 10 आना और तीन पैसा उनको महीने का दिया जाता था।

रामधारी सिंह दिनकर बरबीघा के रामपुर सिंडाय गांव में 2 किलोमीटर पैदल चलकर बाबू मेदनी सिंह के यहां रहते थे तथा वही कविता लेखन और घर के बच्चों को पढ़ाते भी थे।

शेखपुरा में बने रजिस्टार, स्मारक ध्वस्त

1934 से लेकर 1942 तक रामधारी सिंह दिनकर शेखपुरा में सब रजिस्टार के पद पर कार्य किया तथा वे यहां से जुड़े रहे। हालांकि शेखपुरा कटरा चौक के पास पुराने रजिस्टार ऑफिस को प्रशासन के द्वारा कुछ साल पहले ही ध्वस्त कर दिया गया और अब उनकी यादों को यहां देखने वाला कोई नहीं है।

रामधारी सिंह दिनकर ने अपने संस्मरणों में बरबीघा के बारे में कहा है कि बरबीघा में लाला बाबू एक दधीचि के रूप में हैं और देशभक्ति का बाण इनकी हड्डी में बिछा हुआ है। दिनकर जी ने कहा कि बरबीघा एवं इसके आसपास सामंती मानसिकता के लोगों से भरा पड़ा है। यहां रहने वाला छोटे जमींदार भी नकली जीवन जीने के आदी हैं।

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मध्यान भोजन की रखी थी नींव

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने बरबीघा हाई स्कूल में नौकरी करते हुए मध्यान भोजन की आधारशिला रख दी थी जो आज भी लागू है। प्रसंग यह था कि एक छात्र टिफिन के दौरान खाने के लिए घर चला गया और लेट से लौटकर आया तो शिक्षक ने उसकी पिटाई कर दी। इससे मर्माहत होकर रामधारी सिंह दिनकर ने टिफिन के समय स्कूल में ही हल्के नाश्ते की व्यवस्था कर दी। जिसमें चना, चूड़ा, भूंजा इत्यादि शामिल था जो आज तक चल रहा है।

नहीं हुआ दिनकर जी के नाम पे नामकरण

बरबीघा हाई स्कूल में दिनकर जी की आदमकद प्रतिमा का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सेवा यात्रा के दौरान किया गया था। बरबीघा में उद्घाटन समारोह के दौरान उन्होंने लोगों के मांग पर हाई स्कूल का नाम रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर करने का आश्वासन दिया था परंतु अभी तक यह आश्वासन अधूरा है।

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