• Friday, 01 November 2024
वट सावित्री पूजा को महिलाओं की उमड़ी भीड़, क्या है वट सावित्री पूजा, क्यों अचानक से बढ़ा चलन, जानिए

वट सावित्री पूजा को महिलाओं की उमड़ी भीड़, क्या है वट सावित्री पूजा, क्यों अचानक से बढ़ा चलन, जानिए

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वट सावित्री पूजा को महिलाओं की उमड़ी भीड़, क्या है वट सावित्री पूजा, क्यों अचानक से बढ़ गया का चलन जानिए
शेखुपरा
वट सावित्री पूजा का चलन अचानक से बढ़ गया है। सोमवार को वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं के द्वारा पूजा स्थल पर भारी भीड़ लगाई गई। परंपरागत तरीके से पूजा किया गया। बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करने की परंपरा है। वट सावित्री की पूजा के साथ-साथ सोमवारी अमावस्या को लेकर पीपल के पेड़ के नीचे भी महिलाओं के द्वारा परंपरागत रूप से पूजा की जा रही है। पीपल के पेड़ पर जल अर्पण, फल फूल से पूजा इत्यादि करने की परंपरा है और कच्चे धागे के साथ पीपल के पेड़ की पूजा भी की जाती है। बरगद के पेड़ के बीच नीचे वट सावित्री की पूजा परंपरागत तरीके से होती है फल फूल इत्यादि से पूजा किया जाता है। पंखे से बरगद के पेड़ को हवा दी जाती है फिर 11 से लेकर 108 बार कच्चे धागे से बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।

पति की लंबी आयु को लेकर पूजा की है परंपरा 

दरअसल वट सावित्री की पूजा पति की लंबी आयु को लेकर करने की परंपरा रही हैं। इस पूजा को लेकर सती सावित्री और सत्यवान के प्रसंग को जोड़ा गया है। सत्यवान के मृत्यु के दिन जानते हुए भी सती सावित्री ने उससे शादी की और उपवास रखना शुरू कर दिया। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होनी थी उस दिन जंगल लकड़ी काटने के लिए पति के साथ गई फिर यमराज प्राण हर कर ले जाने लगे तो सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे चली गई और अपने पति का प्राण वापसी किया। इसी से वट सावित्री की पूजा की परंपरा बनी और पति की लंबी आयु को लेकर महिलाओं के द्वारा यह किया जाने लगा।

सोशल मीडिया का पड़ा इंपैक्ट, बड़ी संख्या में महिलाओं में पूजा की  आस्था

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इन दिनों सोशल मीडिया का इंपैक्ट आम जनजीवन पर पड़ने लगा है। पहले टीवी धारावाहिकों का असर महिलाओं पर पड़ा और कई तरह के परंपराओं का चलन बढ़ गया। इसमें करवा चौथ जैसे परंपरा शामिल है। वही धीरे-धीरे सोशल मीडिया और मोबाइल का इंपैक्ट भी जनजीवन पर पड़ने लगा। जिसका असर वट सावित्री की पूजा में दिखने लगा है। जानकार  बताते हैं कि पहले महिलाओं में वट सावित्री पूजा का चलन इतना अधिक नहीं था। परंतु इस साल व्यापक असर देखा गया। रविवार को बाजार में महिलाओं की भीड़ फल फूल खरीदने के लिए टूट पड़ी जिसका परिणाम हुआ कि ₹10 किलो का चीरा 60 से ₹80 प्रति किलो बिका ₹25 दर्जन का केला ₹100 से लेकर ₹125 दर्जन बिक गया। सोमवार को पूजा करने के लिए शहर और गांव में बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।
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