जार्ज फर्नाडिस के करीबी बता रहे चीन की असलियत: दुध का जला मठ्ठा भी फूंक कर पीना चाहिए
शिवकुमार/ न्यूज डेस्क
इतिहास गवाह है कि जब जब हमारे देश के रहनुमाओ ने चीन के साथ दोस्ती या भाईचारा के लिए हाथ बढ़ाया है चीन ने उस हाथ को काट कर खा जाने में कभी कोई गुस्ताखी नहीं की हैं। नेहरू नव उदित चीन के साथ पंचशील का सपना देखे थे। उन्होंने राष्टसंघ मे चीन को स्थाई सदस्यता दिलाने मे अहम भूमिका निभाया था और चाऊनलाई के स्वागत में “हिन्दी चीनी भाई भाई” के नारे लगाये थे पर चीन ने 1962 मे हमारी सीमा पर हमला बोला था। काश! नेहरू तिब्बत पर चीनी आक्रमण के समय ही सचेत हुए होते और डट कर चीन का विरोध किये होते तो सभंव था 62 की शर्मनाक हार उन्हें नहीं देखना पड़ता।
इस हार का सदमा उनके लिए इतना गहरा था कि वे अठ्ठारह महीने के भीतर ही चल बसे। चीन ने तो सोवियत रूस को भी नहीं वक्सा था। उसकी सीमा पर भी धुसपैठ किया था। इसीलिए तत्कालीन सोवियत रूस की सरकार चीन के विरोध में रही और एक तरह से चीन के बिरोध में अभियान भी चलाती रही थी। चीन की विस्तारवादी मंसूबो ने वियतनाम, ताईवान को भी नहीं छोड़ा। चीन एक विस्तारवादी देश है, यह भारत को कभी चैन से रहने नहीं देगा। यह भारत को दक्षिणी एशिया में अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है।
“दुध का जला मठ्ठा भी फुक कर पीना “चाहिए
हमारे प्रधानमंत्री को चीन के साथ गलवाही करते समय चीन का पिछला इतिहास भी याद रखना चाहिए था। पिछली वार जब चीनी राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे तो चीनी सेना डोकलाम मे हमारी सेना के साथ अड़ी थी। उस घटना से ही सचेत होना चाहिए था। कहा जाता हैं कि “दुध का जला मठ्ठा भी फुक कर पीना “चाहिए । हमारे प्रधानमंत्री अपने छः साल के कार्यकाल में चार बार चीन गये। अपने देश मे चीनी कम्पनियों को बड़ी तादात मे निवेश करने का मौका दिया। ब्यापार असमानता को कभी मुदा नहीं बनाया। चीन हमें चारो ओर से घेरता रहा और हम उसका स्वागत करते रहें। चीन ने” रेशमी सड़क” हमारे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फरावाद तक बना लिया और नेपाल के काठमांडू तक बनाने की योजना चल रहीं है।
अभी अभी चीन की शह पर ही नेपाल की बामपंथी सरकार ने नया नक्शा संविधान सभा मे पास कर हमारे उतराखंड के काली नदी घाटी, पिथरौटा के इलाके को अपना दिखाया है। चीन ने श्रीलंका में अपना बन्दरगाह बना लिया। म्यांमार और बंगलादेश को सस्ते बड़े लोन देकर अपने पक्ष में कर रहा है। पाकिस्तान का पापा तो वह पहले ही बन चुका है। हमें अपने पडोसियों से संबन्ध सुधारना होगा। मतभेद सलटाने होगे। हालात नि:संदेह गम्भीर है। वह पहले से ही अरूणाचल प्रदेश को अपना मानता रहा है और वहां वीसा नहीं देता रहा है। अब वह गलवानघाटी को भी अपना ही कहता है। उसकी नजर पूर्वोत्तर के मणीपुर, मेघालय, नागालैंड पर भी है।
भारत का असली दुश्मन पाकिस्तान
अटल सरकार में रक्षामंत्री रहे प्रसिद्ध समाजवादी नेता जार्ज फनार्डिस ने कईक मौको पर कहा था कि भारत का असली दुश्मन पाकिस्तान नहीं चीन है। भारत को हर हमेशा चीन से सावधान रहने की जरूरत है। जार्ज फनार्डिस ने ही सीयाचीन पर सैनिक चौकी बनाया था। चीन से सटी सीमा पर सम्पर्क बढाने का प्लानिंग भी दिया था। दुर्गम सीमा क्षेत्रों को जोड़ने का खाका तैयार किया था। वह चीन की शातीराना चाल को बखूबी समझते थे।
आज सरकार और उसके संगठन चीनी सामान वहिष्कार की बात कर रही है। यह स्वागत योग्य है। लगभग 343 किस्म की चींजे चीन से हमारे देश मे आता है। मोवाईल के टीकटांक, जुम, पप्प जैसे अनेको एप्प है जो हमारे देश मे सरकार से लेकर आमलोग तक चलाते है। भारत सरकार तो आज भी टीक टांक पर ही अपने शहीद सैनिक को श्रद्धांजलि दे रही है। तो क्या यह सिर्फ़ भावुक स्लोगन रहेगा ? हमारे रहनुमाओ को उनके सामानो के वहिष्कार के लिए टी वी, स्माटफोन, कम्प्यूटर और अन्य कल पूर्जो को बनाने कि तैयारी युद्ध स्तर करना चाहिए। यह भी देखना होगा कि उनकी कीमत भी चीनी सामानो के समकक्ष रहे। चीनी कम्पनियों को भी हतोत्साहित करने की भी नीति बनानी चाहिए।
मानसरोवर पर अपना हक जताना चाहिए
हमे तिब्बत में लगभग दो सौ किलोमीटर अन्दर मानसरोवर पर अपना हक जताना चाहिए। वह हमारे देवो के देव महादेव का स्थान और तीर्थ स्थल है। महादेव तो हमारे देवता है, चीनियों के तो हैं नहीं। कोई अपना देवी देवता का निवास दुसरे के घर थोङे रखता है। तिब्बत की आजादी का मामला भी जोरशोर से उठाना चाहिए। दलाई लामा को आगे बढाना चाहिए। ताईवान, वियतनाम, का मामला भी उन देशो के साथ मिलकर उठाना चाहिए। अभी हांगकांग में लोकतंत्र के लिए आन्दोलन चल रहे है। हमें इसका सक्रिय समर्थन करना चाहिए। विश्व में उन देशो के साथ अपनी एकजुटता बढानी चाहिए जो करौना के लिए चीन को जिम्मेदार मानते है। इन्हें चीन पर बिभिन्न तरह के प्रतिबंधों के लिए तैयार करना चाहिए।
बिहार के बरबीघा, शेखपुरा निवासी लेखक एक समाजवादी नेता है और जार्ज फर्नाडिस के करीबी रहे है। आलेख उनके FACEBOOK से साभार
इस खबर को अपनों के बीच यहां से शेयर करें
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!