• Friday, 01 November 2024
पत्रकार बनकर समाज में धौंस जमाना और पैसे उगाहना काम

पत्रकार बनकर समाज में धौंस जमाना और पैसे उगाहना काम

DSKSITI - Small

पत्रकार बनकर समाज में धौंस जमाना और पैसे उगाहना काम

अनुभव सिंह/बरिष्ठ पत्रकार

देश में अचानक से पत्रकारों की बाढ़ आ गई है और उस बाढ़ में पत्रकारिता डूबती जा रही है।प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद वेब मीडिया और सोशल मीडिया।गाँव-गाँव में मोटरसाइकिल के आगे प्रेस का स्टीकर लगाकर घूमते युवा नजर आ जाते हैं।नतीजा है कि पत्रकारिता की गरिमा कम होती जा रही है।आज पत्रकारिता जैसी गम्भीर और जिम्मेदार सेवा भी राजनीति की तरह ओछी होती जा रही है।एक वक्त था जब पत्रकार समाज में क्रांति लाते थे जबकि आज अपनी ओछी हरकतों की वजह से कई पत्रकार गाली सुनते हैं।

पहले हिन्दी या अंग्रेजी के दैनिक अखबार पढ़कर विद्यार्थी अपनी भाषा ज्ञान विकसित करते थे और अपनी लेखन कला बेहतर करते थे।लेकिन आज के न्यूज एंकरों को सुनकर तो विद्वानों का भाषा ज्ञान भी चौपट हो जाए।न स्त्रीलिंग पुलिंग की समझ,न भाषा का जरा भी ज्ञान,न बात करने का तौर तरीका और न ही लेखन की समझ।बस गले में प्रेस का पहचान पत्र,हाथ में माइक और बन गए पत्रकार।

पत्रकार बनकर समाज में धौंस जमाना और पैसे उगाहना कई पत्रकारों का काम हो गया है।जिनके चक्कर में योग्य और वाजिब पत्रकारों को भी अपमानित होना पड़ता है।पत्रकार होना बहुत बड़ी जिम्मेदारी की बात है।पत्रकार ऐसे ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ नहीं कहे जाते हैं।पत्रकारों को चाहिए कि ऐसी कोई हरकत न करें जो पत्रकारिता की शान को कम करे।आपका संयमित आचरण,आपका लेख,जनकल्याण के समाचार लेखन और पत्रकारिता से ईमानदारी ही आपको समाज में सम्मान दिला सकते हैं।

भाषा की समझ न होना,लेखन का कौशल न होना,बुरा नहीं है।लेकिन सीखने की ललक होनी चाहिए,सीखना बुरी बात नहीं है।देश के बड़े से बड़े पत्रकार भी आज गहन अध्ययन करते हैं,कठिन परिश्रम करते हैं,फिर जाकर वो बड़े पत्रकार कहलाते हैं और सम्मान पाते हैं।पत्रकारिता जनसेवा के लिए करें, समाज में धौंस जमाने और पैसे ऐंठने के लिए नहीं।

DSKSITI - Large

आलेख अनुभव सिंह के फेसबुक से साभार प्रकाशित

new

SRL

adarsh school

st marry school

Share News with your Friends

Comment / Reply From