खास रिर्पोट: और इस तरह छत्रपों की छत्रछाया से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है गांधी जी का ग्राम स्वराज
खास रिर्पोट: और इस तरह छत्रपों की छत्रछाया से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है गांधी जी का ग्राम स्वराज
शेखपुरा
गांधी जी का ग्राम स्वराज का सपना 7 दशक बाद गिरते पड़ते बिहार जैसे पिछड़े राज्य में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने लगा है। पंचायत के चुनाव में इस की धमक दिखने लगी है। अब खास लोगों के हाथों से निकलकर ग्राम स्वराज आम लोगों के हाथों में पहुंचकर अपनी उपस्थिति का एहसास कराने लगा है। इसी तरह की उपस्थिति की धमक विभिन्न प्रखंडों में हो रहे नामांकन में दिखाई देने लगा है। छत्रपों की छत्रछाया से निकलकर आम लोग अब नामांकन में अपने दम पर उपस्थिति दर्ज कराते हुए पंचायत चुनाव में दम ठोक रहे हैं । ढोल बाजे के साथ लोग नामांकन के उत्सवी माहौल में प्रखंड कार्यालय पहुंचते हैं और नामांकन कराते हैं।
प्रशासनिक पहल का दिखा रंग
इस सबके बीच चुनाव आयोग और प्रशासनिक पहल भी आम लोगों के हाथों को मजबूत करने की दिशा में ठोस पहल किया है। नामांकन केंद्र पर आम लोगों को सम्मान देने यहां तक कि उनके आवेदन के त्रुटियों को दूर करने की खास व्यवस्था इस बार दिखाई देती है । प्रखंड कार्यालय में हेल्पडेस्क बनाकर तीन स्तर पर आवेदन को दुरुस्त किया जाता है। तब जाकर नामांकन की प्रक्रिया होती है। ऐसा बाद में नामांकन रद्द नहीं हो इसके लिए किया गया है। इस प्रक्रिया का बेहतर परिणाम यह मिला कि अब स्क्रुटनी में आवेदनों की रद्द करने की प्रक्रिया लगभग खत्म हो गई है।
हेल्प डेस्क पर काम कर रहे हैं कन्या मध्य विद्यालय के शिक्षक सुधीर कुमार कहते हैं कि कई स्तर से त्रुटियों को दूर कर देने की वजह से नामांकन रद्द होने की संभावना नगण्य हो जाती है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्याशियों के लिए बैठने की सुगम व्यवस्था की गई है और साथ ही साथ नामांकन काउंटर पर भीड़ न लगे इसको भी सुनिश्चित कर दिया गया है। वहीं दूसरे हेल्प डेस्क पर काम कर रहे शिक्षक मंटू कुमार, राहुल कुमार इत्यादि कहते हैं कि सूक्ष्मता से गलतियों को चेक किया जाता है। मतदाता सूची से मिलान करना आरक्षण रोस्टर से मिलान करना इन शब्दों से नामांकन पत्र रद्द होने की संभावना खत्म हो जाती है। शिक्षक राकेश रोशन, शैलेंद्र कुमार, संजय कुमार ने बताया कि नामांकन का पर्चा दाखिल होते ही उसे ऑनलाइन प्रक्रिया में तत्काल दे दिया जाता है।
तकनीक का सहारा भी दिखने लगा
इतना ही नहीं इस सब के बीच तकनीक का सहारा भी दिखने लगा है। नामांकन दर्ज करते ही सारे कागजात को ऑनलाइन अपडेट कर दिया जाता है । जिसके बाद वेबसाइट पर इसे आम लोग भी देख सकते हैं।लोकतंत्र के इस उत्सव में सबकी अपनी अपनी भागीदारी है। बिहार में महिलाओं को मिले आरक्षण का लाभ आधी आबादी जमकर उठा रही है। अब महिला भी आगे बढ़कर नामांकन कराने के लिए खुद आ रही है और अपने हक के लिए लड़ रही है। महिलाओं की उपस्थिति नामांकन केंद्र पर खूब देखी जा रही है और नारेबाजी भी महिलाओं के द्वारा उत्साह पूर्वक लगाया जा रहा । इसी बीच नामांकन केंद्र पर पर्व त्योहार और मेले जैसा भी नजारा है। फूल की दुकान दूसरे जिले से भी आकर लोगों ने सजा लिया है। मालाओं की बिक्री खूब हो रही है। चाय पान की दुकानों पर भी गहमागहमी है। तो और लस्सी की दुकानों पर भी खूब बिक्री हो रही है।
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