• Friday, 01 November 2024
सतत जीविकोपार्जन योजना का प्रशिक्षण सम्पन्न

सतत जीविकोपार्जन योजना का प्रशिक्षण सम्पन्न

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शेखपुरा

सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत चयनित लाभार्थी का आज तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण जिला के एस एस पी पैलेस में सम्पन्न किया गया जिसमें घाट कुसुम्भा के 14 लाभार्थी, शेखोपुरसराय से 14 लाभार्थी तथा बरबीघा से 2 लाभार्थी शामिल हुई। अब तक कुल 109 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

इस प्रशिक्षण में संजीव कुमार तथा राहुल प्रियदर्शी द्वारा सतत जीविकोपार्जन योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
सतत जीविकोपार्जन योजना अत्यन्त निर्धन परिवारों के गरीबी का कारण पर चर्चा से बाहर निकलने में सहायता करने के लिए है । इस प्रयत्न में कई अनुपूरक प्रयास भी शामिल है,यथा उत्पादन से संबंधित परिसंपत्ति का अंतरण ,प्रशिक्षण,जीविकोपार्जन में मौजूद अंतर को कम करने में सहायता तथा लगातार सहयोग के जरिये एक ऐसे व्यापक कार्यक्रम की शुरुआत ,जिसके द्वारा दीर्घकालिक रोजगार के अवसर एवं आय सृजन की गतिविधियां को विकसित किया जा सके।इन विभिन्न गतिविधियो के साथ 24 महीने के दौरान परिवार के साथ नियमित सहयोग और परिवारों को एक लाभप्रद स्वरोजगार गतिविधि शुरू करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ।ऐसा मानना है कि सीमित समय मे समन्वित प्रयास के माध्यम से उन्हें गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाला जाना है ,प्रशिक्षण में मुख्य रूप से क्षमतावर्धन, आजीविका का विकल्प
आजीविका, अंतराल, सहायता बीमा
अभिसरण के जुड़ाव पर विशेष बल दिया गया।

उद्देश्य:
अत्यन्त निर्धन गरीब समुदायों के पास भविष्य के लिए कोई उम्मीद/आकांक्षा नही होती है।इससे वे बच्चो की शिक्षा या परिवार की प्रगति के लिए कोई योजना नही बना पाते है । उद्यम के बारे में ज्यादा जानकारी नही होने के कारण उनमे से ज्यादातर दैनिक मजदूर के रूप में काम करते है।इस प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी गुप्त क्षमता को जगाने का प्रयास किया जाता है और उन्हें बेहतर जीवन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।इस प्रशिक्षण में मुख्य रूप से सात गतिविधियां पर जोर दिया जाता है।

खराब आर्थिक एवं सामाजिक स्तिथि
शिक्षा की कमी
दीर्घकालिक रोजगार की कमी
संसाधन बचत की कमी
निवेश की कमी
सरकारी योजनाओं के अभिसरण में कमी
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अप्रतियाशीत /अनहोनी परिस्तिथि
अनोपचारिक कर्ज।

इसके अलावा
व्यापार की अवधारणा जिसमे व्यापार के अवयव/अंग,व्यवसाय के उद्देश्य,व्यवसाय में स्थायित्व। व निरंतरता,व्यवसाय में क्या करना चाहिये/क्या नही करना चाहिये,खरीद के नियम,व्यापार के लिए सही बाजार का चयन ,खरीदे गए समान की गुणवत्ता चेक करना,खरीद मूल्य की जांच करना,बिक्री,नगद बिक्री तथा उधर बिक्री,व्यवसाय में समय सीमा का महत्व,बिक्री के लिए स्थान,मौसमी व्यपार, व्यवसाय में जोखिम प्रबंधन, शामिल था।

प्रशिक्षण पूरा होने के एक माह के अंदर लाभार्थी के संबंधित ग्राम संगठन में रोजगार को लेकर योजना बनाया जाएगा तथा इससे संबंधित फण्ड का स्थानांतरण कर इन्हें जीविकोपार्जन से जोड़ा जाएगा।

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