विचार: आकार लेने लगा उत्तर भारत का तिरुपति..
न्यूज़ डेस्क
उत्तर भारत का तिरुपति आकार लेने लगा है। बिहार के शेखपुरा जिले के बरबीघा सामस गांव में 5 जुलाई 1992 में भगवान विष्णु की प्रतिमा तालाब खुदाई के दौरान निकली। इस गांव में कई खंडित प्रतिमाएं है। यह बानगी है मुगलों के आक्रांता होने की। हिंदुओं के धर्म स्थलों को क्षतिग्रस्त करने की।
खैर, ग्रामीणों ने वहीं इसकी स्थापना कर एक लघु मंदिर बना दिया।
कई सालों बाद डॉ कृष्ण मुरारी प्रसाद और कवि अरविंद मानव की पहल पे बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल दिनकर जयंती समारोह में बरबीघा आये। वे यहां दर्शनार्थ गए। फिर क्या । उन्होंने इसके पुरातात्विक महत्व को समझ लिया। यह प्रतिमा पालकालीन थी। 7 फिट और 6 इंच बड़ी। विश्व में पूजी जाने वाली भगवान विष्णु की सबसे ऊंची प्रतिमा। उन्होंने पहल की। लोगों को जगाया।
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष डॉ कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह सक्रिय हुये। यहां भव्य मंदिर बनाने की परिकल्पना हुई।
प्रत्येक माह कार्तिक माह जेठान पे पांच दिवसीय महोत्सव शुरू हुआ। जन सहयोग को लगातार अपील हुआ। पांच करोड़ की लागत का अनुमान। 140 फिट लंबा और 90 फिट ऊंचा। लोगों की सहभागिता नगण्य। पर वे लगे रहे। डॉक्टरों की टीम का सहयोग मिलने लगा। और लोग भी आगे आये।
अब नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हुई। आलोचना का दौर शुरू हुआ। इससे इतर सकारात्मक कार्य होते गए। परिणामस्वरूप एक भव्य मंदिर ने आकर ले लिया है। अब बस सब मिलकर सकारात्मक सोंच के साथ एक पहल और सहयोग करें। पर्यटन और धर्म दोनों दृष्टिकोण से यह बिहार का गौरव होगा।
अरुण साथी के फेसबुक वॉल से साभार
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