राष्ट्र की आत्माबच्चे, उपेक्षित न रहें- शब्बीर हुसैन
बरबीघा
बच्चे राष्ट्र की आत्मा कहे जा सकते है। जिसको आत्मा जीवन्त, प्रखर, पुष्प, सक्रिय होगी, उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकसित, उन्नत, गतिशील होगा। आत्मा मूर्छित हुई तो स्वास्थ्य, धन, स्मरण-शक्ति, मांसिक-दक्षता सभी धीरे-धीरे नष्ट हो जाते है इसी प्रकार जिस राष्ट्र में बच्चों को स्वस्थ्य, सुशिक्षित, सुसंस्कृत, उन्नत चरित्र बनाये जाने का ध्यान रखा जायेगा, वह राष्ट्र कुछ ही समय में प्रगति के शिखर पर दिखाई देगा।
जहॉं बच्चे कुपोषण, कुशिक्षा, भेदभाव, अनीति, उपेक्षा और अनुचित व्यवहार के शिकार होंगें, उस समाज में दुर्बलता, विकृति, विषमता, दुराचरण, पतन और अराजकता की वृद्धि अवश्य होगी। ये सभी बाते मॉडर्न इंस्टीच्यूट के निदेशक मोहम्मद शब्बीर हुसैन ने बाल दिवस के अवसर पर बच्चो के संबोधन के क्रम में कही। इस अवसर पर संस्थान के छात्र/छात्राओं ने चाचा नेहरू के चित्र पर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। इस मौके पर उपस्थित छात्र-छात्राओं में गोपाल कुमार, रानी कुमारी, करूणानिधान पाण्डेय, शिवाणी कुमारी, सुमन कुमारी, करिश्मा, रूही, पूनम, अकांक्षा, सबा परवीण, नाजिया परवीण, तानिया, शोभल प्रिया, साकक्षी कुमारी, अंकिता भारद्वाज, मो तौकिर अंसारी, नव्या सिंह, मधु कुमारी, सोनाली राज, मो तौसीफ, फरदीन हुसैन आदि शामिल थे।
संस्थान के निदेशक ने अपनी अंतिम संबोधन में कहा कि आज जरूरत है कि बालश्रम और बाल उत्पीडन की स्थिति से राष्ट्र को उबारने की। ये बच्चें भले ही आज वोट बैंक नहीं है पर अाने वाले कल के नेतृत्वकर्ता है। इसलिए बाल अधिकारो के प्रति सजगता एक सुखी और समृद्ध राष्ट्र की प्रथम आवश्यकता है।
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