• Friday, 01 November 2024
जिला अस्पताल में बनना है 50 बेड का फैब्रिकेटेड अस्पताल तथा बच्चों के लिए  पीआइसीयू अस्पताल

जिला अस्पताल में बनना है 50 बेड का फैब्रिकेटेड अस्पताल तथा बच्चों के लिए  पीआइसीयू अस्पताल

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जिला अस्पताल में बनना है 50 बेड का फैब्रिकेटेड अस्पताल तथा बच्चों के लिए पीआइसीयृ अस्पताल

बरबीघा, शेखपुरा
राज्य सरकार के बिहार मेडिकल सर्विस इन्फ्राट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड पटना के द्वारा बिहार के कई जिले के जिला अस्पताल में स्पष्ट रूप से 50 बेड के प्रि फैब्रिकेटेड अस्पताल बनाने का निर्देश है। इसको लेकर निविदा भी निकाली गई है। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिला अस्पताल शेखपुरा में 50 बेड वाले प्री फैबरीकेटेड फील्ड अस्पताल का निर्माण होना है और इसके लिए सारी प्रक्रिया होनी है । इस अस्पताल के निर्माण में तीन करोड़ 80 लाख रुपए के खर्चे की बात कही गई है परंतु इस अस्पताल के निर्माण में बयान बाजी भी शुरू हो गई है।
टेंडर में स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि जिला अस्पताल में बनना है 50 बेड का अस्पताल
बरबीघा नगर सभापति के द्वारा रविवार को एक वीडियो बयान जारी कर 50 बेड का अस्पताल बरबीघा में बनने की बात कह कर उसे शेखपुरा सदर प्रखंड के औधे लेकर जाने का विरोध किया गया और इसको लेकर टेंडर का पत्र भी दिखाया गया। उधर, इस सारी प्रक्रिया में जो बात खुलकर सामने आई है वह स्पष्ट इस ओर इशारा कर रही है कि सदर प्रखंड के जिला मुख्यालय में 50 बेड का प्रीफैबरीकेटेड अस्पताल बनना है। बिहार के सभी जिलों के लिए यही निर्देश है।
इस पूरे मामले में बरबीघा के विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा कि जानबूझकर राजनीतिक बयानबाजी की जा रही है। बरबीघा के किसी अस्पताल को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात नहीं हुई है। गलत बयान देकर कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं । कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय में एक फैब्रिकेटेड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है जो विशिष्ट अस्पताल होगा। 50 बेड का बनना था। बिहार के सभी जिले में इसी तरह के अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है। इसे प्रखंड मुख्यालय में नहीं बनाया जाना है।
कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए इस तरह का बयान बाजी कर रहे हैं। उधर, इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने भी स्पष्ट कहा कि जिला मुख्यालय में इस तरह का अस्पताल को बनाया जाना था। सदर अस्पताल में जगह का अभाव होने से परेशानी हो रही है। 100 फीट बाई 200 फीट जगह होने पर ही इस अस्पताल का निर्माण होना था परंतु सदर अस्पताल में यह जगह नहीं है। अन्य संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है। उधर इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ पृथ्वीराज का कहना है कि औधे में अस्पताल बनाने का निर्णय की बात गलत है। जमीन की नापी की गई थी। यहां भी जमीन पर्याप्त मात्रा में नहीं उपलब्ध है। इसलिए यहां भी बनाने की बात नहीं हो रही है।
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सदर अस्पताल में नवजात के लिए बनना है अस्पताल

बिहार सरकार के द्वारा सदर अस्पताल में 32 बेड का एक बच्चों के लिए इमरजेंसी अस्पताल बनाना है। इसे पीआईसीयू अस्पताल कहते हैं। इसमें नवजात के लिए विशेष व्यवस्था होगी। राजनीतिक बयानबाजी में 32 बेड का अस्पताल सदर अस्पताल में बनाए जाने की बात भी कही गई। परंतु यह विशेष रूप से बच्चों के लिए बनने वाला अस्पताल है। नवजात शिशु के मृत्यु दर को कम करने के लिए यह अस्पताल बनाया जाना है। यह राज्य सरकार का ही निर्णय है
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