बचा लीजिये ताल-तलैया और पानी नहीं तो खत्म हो जाएगा मनुष्य का जीवन- कृष्ण मुरारी किसान
शेखपुरा।
नेचरल वाटर सोर्स के खत्म होने से खेती पर खराब प्रभाव हुआ है। साथ ही मनुष्य पर भी इसका खतरा मंडराने लगा है। खेती को पटरी पर लाने और आदमी के स्वास्थ्य के लिए हमे प्राकृतिक नहर, झरना, पैन, तालाब, नदी आदि को पुनर्जीवित करना होगा और उसके प्रवाह को अक्षुण्य रखना होगा।
पानी की गड़बड़ी के कारण लोगो में पेट की कई बीमारियां आम हो गयी है। खेती और मानव स्वास्थ्य से जुड़े ये बाते जिले के जाने माने कृषक कृष्ण मुरारी किसान ने कही।
कृष्ण मुरारी किसान ने अपने शोध पत्र में ये बाते बताई है।
कृषि अनुसन्धान परिषद् लखनऊ के स्थापना दिवस पर इस शोध का प्रकाशन किया गया। इच्छू नामक इस शोध पत्र की लखनऊ में खूब चर्चा हो रही है। कृष्ण मुरारी किसान ने अपने शोध में बताया कि प्राकृतिक रूप से सूर्य से हमारे खेतो को पोषक तत्व प्राप्त होता है। वही चंद्रमा हमें अमृत प्रदान करता है।
इसी प्रकार जल स्रोत्र के अबाधित प्रवाह से खेत के साथ मानव स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक जल स्रोत्र को बाधित कर देने से हमारा खेत पानी के लिए तरश गया है। इसी प्रकार जल के दूषित हो जाने से लोगो के स्वास्थ्य में गड़बड़ी उत्पन्न हो गयी है। पेट की कई बीमारी के साथ किडनी और कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। शोध पत्र के माध्यम से उन्होंने लोगो को प्राकृतिक के मूल से साथ लोगो को जुड़ने की अपील की है.।
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