• Friday, 29 March 2024
सात हजार की जगह सैंतालीस हजार का भेजा बिल!! बिजली विभाग का गोलमाल धराया

सात हजार की जगह सैंतालीस हजार का भेजा बिल!! बिजली विभाग का गोलमाल धराया

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शेखपुरा

बिजली बिल भेजने में गोलमाल का मामला साफ सामने आ गया। यह मामला तब आया सामने जब जन शिकायत में उपभोक्ताओं ने शिकायत की और जांच में सभी कुछ साफ हो गया

जवाहर लाल सिन्हा अपर समाहर्त्ता, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, शेखपुरा ने बताया कि देवनंदन यादब के द्वारा विद्युत विपत्र में सुधार करने के लिए परिवाद पत्र जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में जमा किया। सहायक विद्युत अभिंयता के द्वारा 104862 रूपये विपत्र की जॉच पताल की गई।

जॉचोपरांत सहायक विद्युत अभियंता के द्वारा विपत्र में से 46047 रूपये सुधार कर दिया गया है। जिसके पश्चात् देवनंदन यादब को 58815 रूपये भुगतान करना है।

इसके लिए देवनंदन यादब विद्युत कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक गये थे। अंत में वे जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में आये और उनकों निःशुल्क अल्प समय में न्याय मिला।

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने बताया कि अमित कुमार बनाम सहायक विद्युत अभिंयता के विरूद्ध परिवाद पत्र जमा किया जिसमें विद्युत विपत्र 47179 रूपया अंकित था। लोक शिकायत निवारण कार्यालय में सुनवाई के पश्चात् इसकी जॉच करने का दायित्व सहायक विद्युत अभियंता को दिया गया। जॉचोंपरांत उनके द्वारा विद्युत विपत्र में 40000 रूपये का सुधार करते हुये 7179 रूपये का भुगतान करने के लिए नया विद्युत विपत्र निर्गत किया गया।

अमित कुमार ने बताया कि विद्युत विपत्र में सुधार करने के लिए विद्युत कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को कई बार प्रार्थना किया। लेकिन उन्होंने एक भी नहीं सुनी। अंत में जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय से न्याय मिला जिसके लिए मैं उसके अधिकारियों को बहुत-बहुत धन्यावाद दिया।

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कहा कि कोई भी नागरिक सरकार के योजनाओं के विरूद्ध लोक शिकायत कार्यालय में आवेदन देकर न्याय पा सकते है यह उनका हक और अधिकार है। प्रतिदिन लोक शिकायत निवारण कार्यालय में सुनवाई होती है जिसमें अधिकारी और फरियादी दोनों सशरीर उपस्थित रहतें है।

सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि तीन कार्रवाई में संबंधित लोगों को न्याय देना है लेकिन अधिकारियों की अर्क्रमण्यता एवं लापरवाही के कारण कई-कई वार सुनवाई करना पड़ता है। समय पर अधिकारियों के द्वारा आवश्यक प्रतिवेदन जमा नहीं करने पर 5000 हजार रूपये का आर्थिक दण्ड लगाने का प्रावधान है।

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